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हमे देखकर..अनदेखा कर दिया उसने, बंद आंखों से पहचानने का,कभी दावा किया था जिसने शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा, पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था जिंदगी रही तो सिर्फ याद तुम्हे ही करेंगे, जिस दिन याद न करें तो समझना हम मर गये। हमे पता है की तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो यूँ ही बिच में आया था गुज़रे है आज इश्क के उस मुकाम से , नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से । 💗 जिनके दिल बहुत अच्छे होते हैं 💗 💔 अक्सर उन्हीं की किस्मत खराब होती है 💔 तुम मोहबत भी मौसम की तरह निभाते हो , कभी बरसते हो कभी एक बूंद को तरसाते हो सच्ची मोहब्बत में प्यार मिले न मिले लेकिन याद करने के लिए एक चेहरा जरूर मिल जाता है जरूरी नहीं जो ख़ुशी दे उसी से मोहब्बत हो प्यार तो अक्सर दिल तोड़ने वाले से भी हो जाता है हर दर्द से बड़ा होता है ये जुदाई का दर्द क्योंकि इसमें एक लम्हा जीने के लिए सौ बार मरना पड़ता है इतना भी दर्द न दे ऐ जिंदगी इश्क़ ही किया था कोई क़त्ल तो नहीं नफरत कभी न करना तुम हमसे यह हम सह नहीं पाएंगे एक बार कह देना हमसे जरूरत नहीं अब तुम्हारी, तुम्हारी दुनिया से हंसकर चले जायेंगे किसी से प्यार करो तो इतना करो की जब भी उसे तकलीफ आये तो सबसे पहले तुम्हारी याद आये आज शायरी नहीं बस इतना सुन लो मैं तनहा हूँ और वजह तुम हो मेरे मरने पर तो लाखो रोने वाले है , तलाश उसकी है जो मेरे रोने से मर जाए अब कौन से मौसम🌈 से कोई आस लगाये ऐ दोस्त, 😒 जो बरसात के मौसम☔ में भी याद ना उनको आये। बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है, यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है । तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है । अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ, मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है। इश्क 💕 ने हमें रोने 😢 भी न दिया, गम L ने हमें हसने 😂 भी न दिया, रूठ के जब याद ☝ आयी आपकी तो, नींद ने हमें सोने भी न दिया। 😴 बन्द 🔒 कर दिए हैं हमने तो दरवाजे 🚪 इश्क के, 💕 पर तेरी यादें 🤔 💭 तो दरारों से भी चली आयी। ना मुलाक़ात याद रखना, ना पता याद रखना, बस इतनी सी आरज़ू है, मेरा नाम याद रखना. कोई था हमारी जिंदगी में जिसे हमारे चुप रहने से भी कभी फर्क पड़ता था, फिर न जाने अचानक क्या हुआ आज रोने से भी फर्क नही पड़ता। वो जो हमसे नफरत करते हैं, हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं, कभी यादें कभी आँखों में पानी भेज देता है, वो खुद आता नहीं अपनी निशानी भेज देता है। ज़माना वफ़ादार नहीं तो क्या हुआ.. 👥★धोखेबाज़ भी तो अक़्सर अपने ही हुआ करते हैं.. काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें, उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें। जितनी भीड़ बढ़ रही है इस जहां में, लोग उतने ही अकेले होते जा रहे हैं। दिल भी एक जिद पर अड़ा है किसी बच्चे की तरह, या तो सब कुछ ही चाहिए या कुछ भी नही दिल भी एक जिद पर अड़ा है किसी बच्चे की तरह, या तो सब कुछ ही चाहिए या कुछ भी नही उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से , अब नयी दुनिया लाये कहाँ से
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